The Kashmiri Files Movie 2022-हिंदुओ के दर्द का परदा हटाते हुए एक फिल्म 

The Kashmiri Files movie 11 March 2022 में release हो चुकी है। ऑडियंस के कई दिनों का सपना पूरा हो गया है।यह फिल्म कश्मीरी पंडितो के ऊपर हाई अत्याचार को दर्शाता है।इस फिल्म का बहुत सारा दृश्य ऐसे है की,दर्शकों के रोंगटे बैठे बैठे ही खड़े हो जाते हैं। 

  यह फिल्म एक फिल्म हि नही बल्कि उन लोगो की आक्रोश है जिन्हे बहुसक्यात हिंदू के भूमि भारत में रहते हुए भी,हिंदू होने का सजा भुगतना पड़ा।

राजातत्रिक और मीडिया-माध्यम का विषय के लिए 30 सालो से भी अधिक मिट्टी के अंदर चिपागया था।

Image credit:enavabharat.com

यह फिल्म  द कश्मीरी फाइल्स 90 के दशक में कश्मीर में हिंदू पंडितों के दर्दनाक हत्या, हिंदू परिवार के ऊपर इस्लामिक कट्टरपंथियों आतंकवादियों से हुए शोषण को दर्शाती है। भारत के आजादी के बाद भी पंडितों को इन कट्टरपंथियों के शोषणा न संभालते हुए अपनी मातृभूमि कश्मीर घाटी को छोड़कर पलायन करना पड़ता है।

The Kashmiri Files Movie जानकारी

Film का नामThe Kashmiri Files (द कश्मीरी फाइल्स)
Release होनेवाली तारीख11 मार्च 2022
भाषाहिंदी
डॉयरेक्टरविवेक रंजन अग्निहोत्री
प्रोडक्शनअभिषेक अग्रवाल
केपीछायांकनउदयसिंह मोहिते
star Castअनुपम खेर,भाषा सुंबली,दर्शन कुमार,चिन्मय मंडलेकर,मिथुन चक्रवर्ती,प्रकाश बेलेवाड़ी
फिल्म का Runtime (अवधि)2 घंटा 50 मिनट
IMDB Rating10/10
Budget14 करोड़
Movie के जानकारी

 The  Kashmiri Files Movie का कहानी 

इतिहास के पन्ने पर कई सारी दर्दनाक घटनाएं दर्ज हो चुका है एस्मेसे एक है कश्मीरी पंडितो की एक कहानी।यह फिल्म सच्ची घटना के आधारित पर है।यह फिल्म को रिटायर्ड टीचर पुष्कर नाथ पंडित (अनुपम खेर) और उनके परिवार को केंद्र में रकते हुए कश्मीरी हिंदुओके के ऊपर हुए अत्याचार, जख्मों को दिखाया गया है।

साल 1990 की कहानी जेकेएलएफ(JKLF) द्वारा किया गया सतीश टिक्कू की हत्या के साथ शुरू होती है। कश्मीरी घाटियों में किस तरह है आतंकवादियों बंदूक लेकर पंडितो और हिंदू महिलाओं बच्चों को ढूंढ ढूंढ कर मारा जाता है करके दिखाया है।

पिछला भाग(past part): फिल्म का कहानी शुरू होती है साल 1990 से,वहा कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे होते हैं,और वह पर एक रेडियो चल रहा होता है और उस पर सचिन तेंडुलकर की बात हो रहा था कि वो क्रिकेट पर अच्छा परफॉर्म कर रहा है। उस बच्चे में एक बच्चा, उसका नाम था शिव,वो सचिन के नाम को खुशी से चिल्ला चिल्ला कर बोल रहा था।एक हिंदू क्रिकेटर के नाम सुनकर वह के लोग गुस्से से वह लड़के को मारने लगाते है।उतने में ही शिव का दोस्त अब्दुल आके उन लोगो से बचाता है 

1990 कश्मीर के वो वक्त होता है की,कश्मीरी पंडितोंको अपने बीवी बच्चों को वहा पर ही छोड़कर,अपने मात्रभूमि से बहुत दूर जाना पड़ता था।इस आतंक मचानेवाले अतंकीवादी लिडर का नाम होता है फारूक अहमद पेट नेम होता है बिट्टा कराटे।ये आतंकी वही का हिंदुओको पकड़ पकड़ कर बीफ (गो मांस) खिलाकर जबरदस्ती मुस्लिम बना रहा होता है।

वहा पर एक सीन आता हैl एक आतंकवादी एक मां और बच्ची के सामने बंदूक लेकर, उस स्त्री को बोल रहा था की वे जाके अपने पति से बोले की,चाहे तो उसके पति उन्हें और बच्चे को वही छोड़कर भाग सकता है। क्योंकि वो आतंकवादी उन लोगोंके साथ गलत कर सके।लेकिन कोई भी स्त्री ऐसा बिलकुल भी नहीं चाहेंगी।तब वह आतंकी उन लोगोंको वही पर मर डालता है।

अगले सीन पर हम एक व्यक्ति को देखते है उनका नाम होता है पुष्कर,उन्हें एक बेटा और बहु होते है।और दो पोते होते है उनमें से बड़े बच्चे का नाम होता है शिव उनको फिल्म के स्टार्टिंग में क्रिकेट खेलते हुए दिखाया गया था।और दूसरा बच्चा कृष्ण बहुत ही छोटा होता है।पुष्कर हर शिवरात्रि में,नाटक में शिवजी का पात्र अदा करते थे इसलिए वो उस नाटक का प्रैक्टिस कर रहे होते है।

पुष्कर को अपने पोता शिव घर वापस नही लौटा है करके बता चलने पर वो शिव को लेने के लिए अपने स्कूटर पर जाता है।अपने पोता और अब्दुल को स्कूटर पर ले जारे होते है उसी वक्त आर्मी के एक ज़िप अति है और बोलते है की चाहे तो पुष्कर उस जीप के पीछे आ सकते है ताकि कोई पुष्कर के ऊपर अटैक नही कर सके।लेखन जीप तोडी ही दूर जाने पर ब्लास्ट होता है।

दूसरी ओर बिट्टा खराटे पुष्कर के घर घुसता है।पुष्कर के बेटे उनको दूर से देखकर उनसे बचने के लिए एक अनाज के ड्रम पर छिप जाता है।लेकिन उनके पड़ोसी अब्दुल के पिता उस अंतकी से बोल देता है की पुष्कर का बेटा अनाज के ड्रम पर छिपा हुआ है करके।बिट्टा कराटे सिदा अंदर जाके सभी लोगो को पकड़ लेता है।

पुष्कर के बेटे को उनके पत्नी शारदा के सामने ही ड्रम पर गोली चलाके मार डालता है।वहा पर पुष्कर भी आ जाता है ,और इस दुर्घटना को देखकर बहुत दुखी हो जाता है।पुष्कर बोलता है की बिट्टा तो उनका छात्र है ।लेकिन बिट्टा को इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता।बिट्टा देखता है की शारदा का पति का खुन ड्रम से बेह रहा होता है।बिट्टा उस खून से भरी चावल को शारदा से खाने के लिए कहता है। ऐसा किया तो वह शारदा का बच्चे को बख्श देगा नहिं किया तो उने भी वो मर देगा करके कहता है।

वर्तमान भाग(Present part): पुष्कर का डेथ हुआ होता है इसलिए पुष्कर के छोटे पोते कृष्ण दिल्ली में रहता था वो अभी अपने दादा का अस्ति को लेकर कश्मीर आता है। वहां उनकी मुलाकात उसके दादा जी के चार दोस्त IAS ब्रह्मदत्त (मिथुन चक्रवती),DGP हरि नारायण (पुनीत इस्सर), डॉ. महेश कुमार(प्रकाश बेलावाडि) और पत्रकार विष्णु राम (अतुल श्रीवास्तव) से होती है। धीरे धीरे से उनके बीच में कश्मीरी पंडितों के पलायन और उनके नरसंहार के चर्चा शुरू हो जाती है।

हम अगले सीन पर कृष्ण को जेएनयू कॉलेज में देखते है।वहा पर राधिका मेनन नामकी एक लेक्चर, स्टूडेंट को बड़का रही होती की उनको अब कश्मीर को आज़ाद करना है और इंडिया का गवर्नर से कश्मीर को खतरा है।यह ये वक्त होता है की आर्टिकल 370 को हटाया गया था और इससे कई सारे लोग नाराज रहते है इसमें से राधिका भी एक थी।

कृष्ण अपने यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट के इलेक्शन पर खड़ा होनेवाला था और राधिका कृष्ण से बोलती है इलेक्शन जितने के लिए उनोको वहा से स्टूडेंट से कनेक्ट करना पड़ेगा इसलिए उसे दिखाना पड़ेगा की स्टेट के गवर्नर कश्मीर के लिए खतरा है और इसी तरह बोलते बोलते कृष्ण को मैनिफुलेट करके अपने तरफ कर रही होती है।

कृष्ण कश्मीर जाने के बात जानने के बाद प्रोफेसर राधिका मेनन कृष्ण से बोलता की वो कश्मीर लोगो का बात रिकॉर्ड करे ताकि कश्मीर लोग क्या सोचते है ये जान सके,और बिट्टा कराटे से मिलने के लिए एक फोन नंबर भी देती है।इसका मतलब वो प्रोफेसर खुद बिट्टा कराटे के तरफ है और उससे मिली हुई है,इसलिए वो वहा के स्टूडेंट को मैनिफुलेट कर रही थी 

पिछला भाग(Past Part): अब सीन 1989 के कश्मीर से शुरू होती है। यहाा पर पुष्कर सहायता के लिए अपने दोस्त IAS ब्रम्हदत्त के पास आता है।और उनसे बोलता है की वहा पर बहुत लोगों को प्रोटेक्शन की जरूरत है और उसका खुद का बेटा भी अतंकी के निशाने पर है करके, ब्रह्मदत्त उससे प्रोटेक्शन देने की भरोसा देता है।

जब यह दोनो दोस्त घर जा रहे होते है, पुष्कर सब्जी लेने के लिए एक सब्जीवाले के पास जाते है।ये सभजीवाला पुष्कर ने दिया भारतीय रुपयों के बदले में पाकिस्तानी रुपया देके बोलता है की जो जिस देश में रहेंगे उनको वही का करेंसी मिलेगा करके।मतलब वहा के लोग यह मान चुके ते की कश्मीर पाकिस्तान का है और वहा पर पाकिस्तान की करेंसी ही चलेगा करके।यह सब सुने के बाद ब्रह्मदत्त उस सब्जीवाले को पुलिस से पकड़वाकर जेल में डालता है।

अगले सीन पर ब्रह्मदत्त कही जा रहा होते है रास्ता पर वो देखते है कइ सारी मुस्लिम महिला हिंदू औरत के खाने के रेशन की सामान रास्ते पर फेख रहे होते है।लेकिन इस समय में ब्रह्मदत्त कोई मदद कर नही पाता है।इस मसला के बारे में ब्रह्मदत्त ने कश्मीर के पीएम से भी बात करी थी लेकिन उससे कुछ फायदा नहीं हुआ।

हम अब देखते हैं कि एक Airforce ऑफिसर ब्रह्मदत्त के घर के पास खड़ा था। उसी वक्त दो स्कूटर पर आए हुए आतंकी,ऑफिसर पर गोली चलाकर वहां से चले जाते हैं।लेकिन वहा पर ही खड़े हुए पुलिस उस आतंकी को कुछ भी नहीं करते क्योंकि वहा पर बहुत सारी पुलिस उन आतंकी के सात शमिल थे।

हम next सीन पर ब्रह्मदत्त कश्मीर के सीएम से,कश्मीर के मामले पर बात करते हुए देखते है।सीएम कहते हैं कि वो वहां पर का आईएएस ऑफिसर है और शांति वगैरा देखना उनका काम है करके ब्रह्मदत्त को ही जिम्मेदार ठहराता है। ब्रह्मदत्त बताते हैं कि वो जोभी  नया कानून पास करते है,खुद सीएम की लोग उस कानून को रोक देते है और उनका बात कोई भी नहीं मान रहा है करके, लेकिन सीएम ब्रह्मदत्त के बात पर जरा भी ध्यान नहीं देते है।

उसी समय हम देखते है बिट्टा कराटे उनके सामने खड़ा हुआ है इसका मतलब खुद सीएम भी शायद उन आतंकी के साथ मिला हुआ है करके दिखता है।ब्रह्मदत्त चाहते हुए भी कश्मीर के मामले में कुछ भी नही कर सकते हैं क्योंकि पूरा पॉलिटिक्स ही आतंकियों के सात मिली हुई है।

वर्तमान भाग(Present part): हम अब देखते है पुष्कर के चारो दोस्त बैठे है और वहा पर ब्रह्मदत्त की पत्नी आति है और कृष्ण को उनके माता पिता के फोटो दिखाती है।लेकिन कृष्ण ने अभी तक उसका माता पिता का फोटो नहीं देखी थी,क्यू की जब कृष्ण का परिवार कश्मीर से भाघे थे तब उनका पास इतना वक्त भी नही ताकि वो वहा से इस तरह चीजे को ले जा सके।

ब्रम्हदत 1990 में घटी पंडितोकी नरसंहार के बारे में बात कर रहा होता है तब कृष्ण बोलता है की कोई भी नरसंहार नहीं हुआ था,वो सब पॉलिटिक्स था और उस दिन 5 लाख नही बल्कि सिर्फ 2लाख कश्मीरी पंडित काश्मीर से निकले थे,और उन्हें मारनेवाले आर्मी के ऑफीसर लोग थे।अगर कोई कश्मीरी आतंकवादी बना रहा है तो इसलिए हम ही जिम्मेदार है करके बोलने लगता है।

कृष्ण इस तरह से बोल रहा था क्युकी उसे कॉलेज में सभी जूठ गलत विषय को उसके सिर पर भरा था।ब्रह्मदत्त को ये सब सुनके गुस्सा आता है और उसे डाटता है।कृष्ण को शक होने लगता है की अब तक जो उसके माता पिता के मृत्यू के बारे में बताया गया था वो सब सच नहीं है।बहुत बार कृष्ण ने उनसे पूछने पर वो कृष्ण से सब सच बताते है।

सभी सच्ची घटना जाने के बाद कृष्ण बहुत परेशान हुआ था,क्यू की उन्हें कॉलेज पर कश्मीर के बारे में कुछ ओर ही सिखाया गया था और कश्मीर के सच्चाई कुछ ओर ही थी।उसको सोचते सोचते याद आता है की कैसे मरते वक्त उसके नाना पुष्कर ने अपने मरने के बाद उसका अस्ति को उसका कश्मीर वाले घर पर बिखड़ने के लिए कहा था क्यू की उसका एक ही सपना होता है की वापस वो उस घर पर जा सके।लेकिन मरते वक्त भी यह पूरी नहीं हो पाता है। इसी इच्छा को पूरी करने के लिए कृष्ण कश्मीर पर आया हुआ होता है।

पिछला भाग(Previous Part): अब एक बार सीन शुरू होता है पुष्कर के घर से जहा पर बिट्टा कराटे शारदा को उसकी पति की खून से भरी अनाज को खिला रहा होता है।शारदा अपने बच्चे के जान बचाने के लिए वो चावल मजबूरी से खाना पड़ता है।आतंकी उन्हे जिंदा छोड़कर चले जाते है बाद में पुश्कर अपने दोस्त डॉ महेश को फोन करके,बोलता है की उनके बेटे को बहुत सारे गोली लगी हुई है और उन्हें बचाना है इसलिए जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी आ जाओ करके।

डॉ महेश पुष्कर के घर आने ही वाले था तब तक हॉस्पिटल पर एक आतंकी आ जाता है,जिसके दोस्त को गोली लगी होती है और उसका खून का ग्रुप होता है O नेगेटिव,लेकिन वहा पर किसी का भी खून का ग्रुप O नेगेटिव नही था।फिर भी वो वहा के एक मरीज का खून जबरदस्ती से निकलने लगता है,ओ एक बॉटल से भी ज्यादा खून निकलता है ओ खून बॉटल बरके नीचे पड़ रहा होता है,ओ मरीज मर सके करके आतंकी इस तरीके से कर रहा होता है,उसी तरीके से मरीज का भी मृत्यु हो जाती है।इस सब घटना से डॉ महेश भी पुष्कर के घर नही पहुंचपाता है।और वहा पर पुष्कर का बेटे के भी मृत्यु हो जाती है।

पुष्कर ब्रह्मदत्त से फोन करके इस सब घटना के बारे में बताता  है,और बोलता है अगर ऐसी ही पूरी भारत के सात होगा तो, उन लोगो में ब्रह्मदत्त भी एक होगा जिसके वजह से यह सब हो रहा है।

 DGP हरी यह सब बता चलने के बाद पुष्कर के घर जाता है और वहा पर दो पुलिसवाले को सिक्योरिटी के लिए वहा पर लगाया होता है,लेकिन वो पुलिसवाले बोलते है की वे खुद बिट्टा कराटे के तरफ है इसलिए बिट्टा कराटे को शूट नही कियाता करके।हरी को बता चलता है की अब पुष्कर भी वहा नही है और वो बचा हुआ परिवार के सात वहा से निकाला है।

एक जर्नलिस्ट, पुष्कर को वहा से निकालके एक ऐसी आदमी के घर ले जाता है जो इसी तरह लोगो की मदद कर रहा होता है।उसका घर पर इसी तरीके का बहुत लोग होते है जो इसी तरीके से जान बचाकर भागे होते हैं।वो मदद करनेवाला आदमी उन सभी लोगों को समझाता है, और वो लोग बहुत ही धीमी आवाज से भारत मां की जयकारा बोलने लगते है।क्यू की वो वहापर ज़ोर आवाज से नही भोल पा सकते थे।

उसी समय उनके घर सामने कुछ आतंकवादी आते है और उनके सात जाने के लिए बोलते है क्यू की वो वहापार सुरक्षित नही है करके।परंतु उस आदमी को बता होता है की उसका अंत आगया है करके,वो उन आतंकवादी को उसके घर में शरणात्री होने का भणक भी नही होने देता है।बाद में वो आदमी अपने बेटे के सात उन आतंकी के सात चले जाता है।

अगले सीन पर पुष्कर अपने बची हुई परिवार और उस घर पर आए हुए क्षरणार्ति के सात एक ट्रक पर बैठके जा रहे होते है और वो  रास्ते पर देखते है की, उस घर का मालिक और उनके बेटे के लाश एक पेड़ पर ठगे होते है।

अब सीन शिफ्ट होता है एक रिफ्यूजी कैंप पर,यह वो लोग रह रहे होते है कभी उनकी कश्मीर में घर हुआ करता था लेकिन अपने ही घर से भागने के बाद अब वो बहुत ही गांधी चोटी चोटी कैंप पर रह रहे होते है।वहा पर दो वक्त की खाना भी नहीं मिल रहा होता है।वहा के लोग कश्मीर वापस जाने की उम्मीद लेके बैठे हुए होते है।वहा पर पुष्कर की आईसाइट कम हो रहा था और जल्दी ही आदा अंधा होनेवाला था,वहा के डॉक्टर उन्हें महंगी लेंस लगाने के लिए बोलता है लेकिन पुष्कर के पेंशन के पैसे में इतना पैसा नही होता इसलिए वो सस्ता लैंस लगाने के लिए बोलता है।

वहा पर होम मिनिस्टर और ब्रह्मदत्त आते है वे आईएएस ऑफिसर से प्रमोट होकर होम मिनिस्टर के एडवाइजर बने हुए होते है।भ्रमदत्त बोलते है की बिना खाना और गंदगी की वजह से बहुत सारी लोगो के मृत्यू हो रही है और बहुत सारी भीमरिया भी आ रहा है।तब होम मिनिस्टर समाजायिषी देता है की ये सब पहाड़ पर रहनेवाले है और इस गर्मी में अगाये है इसलिए उनका मृत्यु हो रहा है करके वहा के पॉलिटिशियन अपने जिम्मेदारी से पल्लू जाड़ रहे होते है।

मिनिस्टर रिफ्यूजी के सामने जाते है और वे लोग अपने समस्या के बारे में भोल रहे होते है।तभी वहा पर पुष्कर आता है और वो हाथ में एक बोर्ड लिया होता है,उसमे लिखा होता है की आर्टिकल 370 को हटाया जाना चाहिए। वो ब्रह्मदत्त को भी नही पहचानता है, क्यू की उनके आंखे लगभग खराब हुआ था और वो मानसिक रूप से भी बहुत परेशान हुआ था।बाद में भ्रम्हदत्त पुष्कर के परिवार से मिलता है और उन्हें पास में ही घर और नौकरी देने का भरोसा देता है।

अगले सीन पर पुष्कर और उसका परिवार भ्रम्हदत्त ने दिए हुए घर पर रह रहे होते है।लेकिन यहां का हालत भी लगभग कैंप जैसे ही था। यहां पर मौलवी स्कूल पर बच्चो को बहुत गलत शिक्षा दे रहे होते है।उनके ये सब गलत बातों से पुष्कर के पोता शिव बहुत डर गया होता है।और जो भगवान का लॉकेट गले पर पेहना था वो खपड़े के अंदर कर लेता है की वो लॉकेट किसी को दिख न सके।इस से यह समझ में आता है की वहा के हिंदू अपने ही धर्म को पालन करने को डर रहे होते है।

हम नेक्स्ट परदे पे देखते है की क्रिमिनल बिट्टा खराटे  मीडिया तक पहुंच गया था और उसका संदर्शन भी हो रहा था।वो बोलता है उन्हे 20-30 लोगो को मारा है क्यू की वो लोग RSS के थे। और खुद को फ्रीडम फाइटर बोल रहा था।

एक दिन बिट्टा कराटे आर्मी के वस्त्र पहनकर आता है और वहा के आर्मी ऑफीसर को बोलता है की उनका काम का समय में बदलाव हुआ है और अब अपना समय उदर काम करने का है करके वहा से उन्हें बेज देता है।और वहा पर अपना कब्जा कर देता है।और वहा पर कृष्णा का मां शारदा और हर एक हिंदू को मार देता है।यह सीन बहुत कड़वी सच को दर्शाती है और इमोशनल होता है।

वर्तमान भाग(Present Part): कृष्ण और पुष्कर के सारे दोस्त पुष्कर का पुराना कश्मीर घर पर जाते है,वहा पर शिव के मंदिर से भगवन शिव का मूर्ति को हटाया गया था और वहा पर 30 साल पहले 1990 में अतंकीवादी के द्वारा लगाया हुआ झंडा वहा पर वैसा ही था। उस झंडे को वहा से हटा देते है।कृष्ण घर पुष्कर के अस्ति को भिकेढ़के पुष्कर के इच्छा को पूरी कर देता है।सभी वहा से चले जाते है।

अब कृष्ण बिट्टा कराटे से मिलने के लिए जाता है,कृष्ण एक बोट पर बैठता है, उस बोट को चलनेवाला अब्दुल होता है,वो कृष्ण का बड़े भाई का दोस्त होता है।वो कृष्ण से बोलता है की उनका परिवार कभी भी कश्मीर पंडितो की विरुद्ध नहीं था,बल्कि उनके पिता पंडितोकि अच्छे दोस्त थे,उसके पड़ोसी कश्मिरी पंडित थे और जिनका बेटा शिव उसका अच्छे दोस्त था।और जब वो लोग कश्मीर से भाग रहे थे तब उनका पिता ने बहुत ही सहायता करी थी करके बोलता है,लेकिन यह पूरी तरीके से झूठ होता है,क्यू की बिट्टा कराटे को अब्दुल के पिता ने ही बतायता की पुष्कर का बेटा अनाज के ड्रम पर छिपा हुआ है करके।

अब कृष्ण बिट्टा कराटे से मिलता है। वो भी यही कहता है की उसने किसी भी कश्मीरी पंडितो को नहीं मारा था,बल्कि आर्मी अपसर लोगो ने पंडितो की हत्या किया था,और खुद पंडित ही अपने परिवार के सात कश्मीर से चले गए थे। यहाँ वो अपना तुलना बड़े बड़े फ्रीडम फाइटर जैसे भगतसिंह,सुखदेव कर रहा था।यह सब सुन ने के बाद कृष्ण को फिर से यही लगता है की जो भी वो कह रहा है यह सब सच है।

कृष्ण वापस जाकर ब्रह्मदत्त से इस बात पर झगड़ा करने लगता है।तब वो कृष्ण से 3 पुराना फाइल खोलकर दिखाता है,इसमें अब तक की सभी न्यूज कश्मीरी पंडितो की बारे में निकली हुई है,जो घटना उनके सात हुआ था इसका चित्र के सात विवरण दिया होता है।इस फाइल में उनका भाई शिव और मां की भी तस्वीर लगा होता है।जिनको भी बिट्टा कराटे ने मारा होता है।यह सब देखने के बाद कृष्णा को पूरा समझ में आ जाता है।

हम अब और एक बाद कृष्णा को यूनिवर्सिटी पर देखते है। यहां पर प्रोफेसर राधिका कश्मीर के बारे में पूरी गलत तारिक से विषय लिखकर गाना बनके गा रही थी।अगर किसी को भी कोई विषय म्यूजिक के रूप में होता है तो याद रहता है।राधिका कृष्णा से माइक देती है,उनको लगता है की वो उनकी पक्ष में बोलेगा करके।

कृष्णा बोलने लगता है की,एक दिन ऋषि कश्यप कश्मीर गए थे,और बहुत वक्त तक वहा पर साधना की थी और ज्ञान प्राप्त किया था।और उन्ही की नाम पर इस राज्य का नाम काश्मीर पढा। इसी तरीके से बहुत सारी ज्ञानी और ऋषिमुनि वहा जाके शोदना किया,इसी तरीके से पंडितो ने कश्मीर को बसाया है।लेकिन एक दिन कुछ इस्लामिक आए,शुरू में तो वो शरण लेने के लिए आए थे और उन्हें पंडितो ने जगह भी दे दिया।

लेकिन धीरे धीरे वक्त के सात उन्हे बता चला कश्मीर कितना खास जगह है करके बाद में वो पंडितो के ऊपर ही आक्रमण करने लगे,उन्हे मारने लगे और जबरदस्ती कलमा पढ़वाया,बीफ(गो मांस)खिलके मुस्लिम बनाने लगे।उनके परिवार के महिला के सात गलत किया।और इस तारिक से कश्मीर में बहुसाख्यात हिंदू को अल्पसंक्यत मुस्लिम में बदल दिया।और 5 लाख से भी ज्यादा कश्मीरी पंडित वहा से बाघ गए।

अब हमे तो पूरी तरीके से आजादी है की हम अपने घर जा सकते है,हमे कोई रोक नहीं सकता लेकिन उन पंडितों को उनके ही घर से निकालके भगाया गया और वो अब वहा जा भी नही सकते,करके बोलने लगता है।

कई बार कुछ लोगो ने उन्हें रोकने की कोशिश भी किया लेकिन कृष्ण को सच समझ में आ गया था इसी लिए बिना रुके बोलने लगता है।और वो अपने भाई और मां की भी कहानी उन लोगो से बोलता है।

यह पर Kashmiri Files movie की कहानी समाप्त हो जाती है।

लोग ज्यादा The Kashmiri Files movie के बारे में यह पूछते हैं 

  1. The Kashmiri Files Movie रिलीज तारीख क्या है?

    फिल्म The Kashmiri Files 11 मार्च 2022 को रिलीज हो चुका है।

  2. The Kashmiri Files Movie कहा से डाउनलोड करे?

    फिलहाल The Kashmiri Files movie किसी भी ऑनलाइन साइट पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध नहीं है 

  3. Kashmiri Files Movie का Budget क्या है?

    विवेक अग्निहोत्री ने अपनी फिल्म द कश्मीरी फाइल्स को बहुत ही छोटी बजट 14 करोड़ों में बनाया था।लेकिन अब यह फिल्म बॉक्स ऑफिस में धूम मचा रहा है।

  4. The Kashmiri Files Movie का कहानी  क्या है?

    यह फिल्म  द कश्मीरी फाइल्स 90 के दशक में कश्मीर में हिंदू पंडितों के दर्दनाक हत्या, हिंदू परिवार के ऊपर इस्लामिक कट्टरपंथियों आतंकवादियों से हुए शोषण को दर्शाती है। भारत के आजादी के बाद भी पंडितों को इन कट्टरपंथियों के शोषणा न संभालते हुए अपनी मातृभूमि कश्मीर घाटी को छोड़कर पलायन करना पड़ता है।

  5. Kashmiri Files Movie OTT प्लेटफार्म और OTT रिलीज़ date क्या है?

    कई सूत्रों की मुताबिक OTT राइट्स Zee5 के पास है।फिल्म जल्द से जल्द Zee5
    स्टूडियो पर की देखने के लिए मिलेगी। 
    यह फिल्म किस दिन OTT प्लेटफार्म पर रिलीज होगी इसका जानकारी खचित नही है।लेकिन मई महीने में आनेका बहुत संभावना है।

फिर भी कुछ वेबसाइट्स जैसे Tamilrockers और कुछ निजी वेबसाइट्स पर लीक हो चुका है।

अगर आप 1990 में कश्मीर में घटी एक सच्ची घटना से रूबरू होना चाहते हो तो, अपनी जिंदगी की बहुत ही कीमती समय 3 घंटा निकाल के, अपने परिवार जनों के साथ The Kashmiri Files Movie को देखना मत भूलिए। Bollywood में ऐसे ही सत्य घटना आधारित अच्छा फिल्म आना चाहिए।

अगर आप इस आर्टिकल से संतुष्ट हो तो अपने मित्र परिवार लोगों के साथ शेयर करना मत भूलिए।

1 thought on “The Kashmiri Files Movie 2022-हिंदुओ के दर्द का परदा हटाते हुए एक फिल्म ”

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